अनिरुद्ध भक्तिभाव चैतन्य ‣ अनिरुद्ध भक्तिभाव चैतन्य ‣ सद्‌गुरु श्रीअनिरुद्ध बापू । समर्थ इतिहास

अनिरुद्ध भक्तिभाव चैतन्य ‣ ईसवी ३२० में रामनवमी के दिन समुद्रगुप्त का जन्म हुआ| चंद्रगुप्त (प्रथम) और कुमारदेवी का यह कनिष्ठ (छोटा) पुत्र था| गुप्त घराना उस समय की समाजव्यवस्था के अनुसार वैश्य वर्ण का था यानी व्यापार एवं व्यवसाय को भली भॉंति जानता था| उसी प्रकार, समुद्रगुप्त की माता कुमारदेवी ये लिच्छवी क्षत्रिय राजघराने की राजकुमारी थीं| इस कारण समुद्रगुप्त पर क्षत्रिय और वैश्य इन दोनों कुलों के समर्थ संस्कार हुए थे| ईसवी ३३८ इस वर्ष में पिता की मृत्यु के बाद पिता की ही आज्ञा के अनुसार समुद्रगुप्त ने राज्य सँभाला| उनके बड़े भाइयों को चंद्रगुप्त ने दूर किया; क्योंकि समुद्रगुप्त यह असामान्य बुद्धिमान, अध्ययनशील, दूरदर्शी, कर्तृत्वशाली एवं पराक्रमी थे| राज्य सँभालने के बाद कौटिल्य के राजकीय तत्त्वों का उपयोग करके समुद्रगुप्त पूरे भारत को अपने अधिपत्य में ले आये| अनेक राज्य (लगभग ७०%) केवल उनके धाक के कारण ही उनकी शरण में आ गये|

 
सौजन्य : दैनिक प्रत्यक्ष     

Click here to read this editorial in Hindi 

author avatar
Aniruddha Premsagar
Scroll to top