अनिरुद्ध भक्तिभाव चैतन्य ‣ अनिरुद्ध भक्तिभाव चैतन्य ‣

अनिरुद्ध भक्तिभाव चैतन्य ‣ सम्राट समुद्रगुप्त ये स्वयं अत्यंत रसिक मन के कलाप्रेमी थे| वे स्वयं उत्कृष्ट संगीत विशेषज्ञ और निपुण वीणावादक थे| वीणावादन यह समुद्रगुप्त के जीवन का वास्तविक मनोविश्राम था| समुद्रगुप्त ने संगीत, वाद्य और नृत्य इन तीनों कलाओं का विकास कराने में भरपूर सहायता की| उन्होंने जगह जगह ‘वात्स्यायन मंदिरम्’ स्थापित कर इन कलाओं को समृद्ध किया| भद्रादेवी यह महिला और पुष्पमित्र सायण यह आचार्य इस विभाग का कार्य सँभालते थे| इस पुष्पमित्र सायण ने इन कलामंदिरों की व्यवस्था में कड़ा अनुशासन रखा था और इस कारण इन कलाप्रकारों को और कलाकारों को भी समाज में उस जमाने में प्राप्त न होनेवाली प्रतिष्ठा निश्‍चित रूप से प्राप्त हुई थी|

सौजन्य : दैनिक प्रत्यक्ष

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Aniruddha Premsagar
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