उत्तर – प्रारब्ध अर्थात् ‘मन’ और इस मन को बदलने का अर्थ है प्रारब्ध को बदलना।
और यह बदलने की क्रिया ही अंधकार का रूपान्तरण प्रकाश में करने की क्रिया है।
मेरे मन की कमज़ोरी का ही रूपान्तरण मेरे मन के सामर्थ्य में करने की क्रिया। और एकमात्र यही सच्चा जीता-जागता चमत्कार है।