उत्तर – स्वयंभगवान त्रिविक्रम का मंत्रगजर मानव सुख में हो तब भी, मुश्किल में या दुख में हो तब भी; और उसी प्रकार सुख या दुख दोनों के न होते हुए भी अर्थात् कुछ विशेष घटित न हो रहा हो तब?भी; यानी किसी भी परिस्थिति में कर सकता है।
उत्तर – स्वयंभगवान त्रिविक्रम का मंत्रगजर मानव सुख में हो तब भी, मुश्किल में या दुख में हो तब भी; और उसी प्रकार सुख या दुख दोनों के न होते हुए भी अर्थात् कुछ विशेष घटित न हो रहा हो तब?भी; यानी किसी भी परिस्थिति में कर सकता है।