२६) त्रिविक्रम अपने श्रद्धावान भक्तों से आभार अथवा उपहार का स्वीकार क्यों नहीं करता?

उत्तर – भगवान त्रिविक्रम अपने भक्तों को कृतघ्नता का पाप न लग जाये इसके लिए उनसे आभार अथवा उपहार का स्वीकार नहीं करता।

त्रिविक्रम केवल, किसी के द्वारा उसका आभार माना जायें, यह नहीं चाहता; क्योंकि फिर नियम के अनुसार उस भक्त के पास आभार के बदले में उतना पुण्य आता है और श्रद्धावान आभार मानना भूल जाये तो उतना पाप आ सकता है

और इस प्रकार से पाप अपने भक्तों के पास जाये यह बात त्रिविक्रम को कभी भी रास नहीं आयेगी।

अत एव त्रिविक्रम को जो देना हो, अर्पण करना हो, वह केवल प्रेम एवं श्रद्धा के साथ करो, मानी हुई मन्नत पूरी करने के लिए भी करो; परन्तु आभार मानने (Thanks) के रूप में नहीं बल्कि केवल प्रेम से।

श्रद्धावान त्रिविक्रम को प्रेम से सब कुछ देता रहे। केवल उसका आभार न मानकर उसके स्थान पर ‘मैं तुमसे बहुत प्रेम करता हूँ’ यह कहता रहे।

क्योंकि प्रेम, श्रद्धा, भक्ति, निष्ठा और विश्‍वास ये ही पंच-उपचार त्रिविक्रम को सबसे प्रिय हैं।

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