उत्तर – स्वयंभगवान ही एकमात्र वास्तविक कर्ता है। क्योंकि इस विश्व की प्रत्येक बात चाहे किसी भी प्रकार से घटित होती हो, कोई भी अपनी कर्मस्वतंत्रता का इस्तेमाल किसी भी तरह से करता हो, अंतत: सारे सूत्र इस स्वयंभगवान के ही हाथों में रहते हैं। सभी सूत्रों को सुव्यवस्थित रूप से संचालित करता रहता है और इसी लिए इसे ‘सूत्रात्मा’ यह भी नाम है।