उत्तर – प्रत्येक जीवात्मा का पुरुषार्थ इसीमें है कि मृत्यु का भय तथा मरने की अगतिकता पूर्ण रूप से नष्ट हो जानी चाहिए। जीवन को सफल बनाना हो, तो मुझे मेरे जीवन में तृप्ति, शांति और सन्तोष लाना आवश्यक है।
उत्तर – प्रत्येक जीवात्मा का पुरुषार्थ इसीमें है कि मृत्यु का भय तथा मरने की अगतिकता पूर्ण रूप से नष्ट हो जानी चाहिए। जीवन को सफल बनाना हो, तो मुझे मेरे जीवन में तृप्ति, शांति और सन्तोष लाना आवश्यक है।