उत्तर – किसी भी ज्ञान का चिन्तन करने से शान्ति प्राप्त नहीं होती। शान्ति और सुख प्राप्त होता है, केवल और केवल भक्तिभाव चैतन्य में रहने से।
भगवान के उपदेश का चिन्तन करते हुए यदि भगवान का चिन्तन और नामस्मरण नहीं किया, अर्थात् भगवत्-वाक्यों का चिन्तन यदि भक्तिभाव चैतन्य-विरहित हो, तो वह उपयोगी नहीं हो सकता। भगवान के प्रेम के बिना सब कुछ व्यर्थ होता है।