३१) ‘मैं स्वयंभगवान का अंश हूँ अर्थात मेरा जीवात्मा उस स्वयंभगवान का ही एक अंश है और ‘स्वयंभगवान’ अंशी है’ यानी निश्‍चित रूप में क्या है?

उत्तर – समुद्र और समुद्र की एक बूँद इनके बीच का रिश्ता यही स्वयंभगवान और प्रत्येक मानव इनके बीच का रिश्ता है।

रासायनिक दृष्टि से समुद्र का जल और उस जल की अलग हुई एक बूँद इनके बीच में कोई भी फर्क नहीं है – अर्थात् अभेद है। परन्तु समूचे समुद्र का सामर्थ्य और उस अलग पड़ चुकी बूँद का सामर्थ्य इनके बीच में तुलना नहीं हो सकती।

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