उत्तर – सच्चिदानंद अर्थात् सत्, चित्, आनंद स्वरूप परमेश्वर दत्तगुरु, आदिपिता सहजशिव नारायण और आदिमाता जगदंबा नारायणी इन त्रि–नाथों (Hyperlink) का समूचे विश्व को व्याप्त करने वाला और भक्तों के जीवन में सर्वत्र भरकर रहने वाला ‘जीवित आनंद’ ही है स्वयंभगवान, अर्थात् त्रिविक्रम यानी त्रि-नाथों का आनंद।
त्रिविक्रम और स्वयंभगवान ये दो शब्द एकरूप ही हैं।