२) सच्चा भक्त किसे कह सकते हैं?

उत्तर – जिसने अपने भूतकाल में अर्जित किये ज्ञान के अनुसार, वर्तमानकाल में विवेक धारण कर, भविष्यकाल की चिन्ता और निश्चित कर्मफल की अपेक्षा (एक्स्पेक्टेशन) न करते हुए कर्मसातत्यता बनायी रखी, वही वास्तविक अर्जुन, वही वास्तविक जय और वही सच्चा शिष्य, वही सच्चा भक्त है।

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