प्रवचन क्लिप टेक्स्ट

देखिए एक दो महीने का बच्चा है। उसकी माँ है और उसकी दादी है। वो दादी उसके माँ की सास है। वो उसकी दादी ही है। उसका उसके माँ के साथ झगड़ा हो जाए तो वो उस पोते या पोति को डाँटेगी क्या मुझे बताओ? नहीं। बिलकुल पराये का भी बच्चा हो तब भी कोई ऐसा करेगा नहीं। यहाँ तो आप सब उसके बच्चे ही हो। अर्थात तुम्हे समझ में आयेगा कि उसका हमसे डाँटकर बात करना संभव ही नहीं। मात्र छोटा बच्चा देखो, कुछ भी मुँह में डाल देता है, वो नासमझ है। फिर हम क्या करते हैं? ग़लत वस्तू हटा देते हैं। कुछ बच्चे आठ-नौ महीने को होते हैं, एक साल हो गए, किसी ग़लत चीज़ को हाथ लगाये तो हम क्या कहते हैं? हाऽऽहा, ये गरम है, हाथ नहीं लगाना। वो ऍक्च्युअली ठंड़ा होता है। पर डराते है ना? यही नाता ध्यान में रखो। त्रिविक्रम का हमसे क्या रिश्ता है? तो जन्म से लेकर एक वर्ष तक के बच्चे से जो माँ-बाप का रिश्ता होता है, वही रिश्ता त्रिविक्रम का हम सबके साथ है। जो उसे मानता है, उस प्रत्येक के साथ है। जो मानता नहीं उसे मात्र, वो उसके उम्र के अनुसार मानता है ये याद रखना। ये चालीस साल का है, ये साठ साल का है, ये नब्बे साल का है, ये सौ साल का है। आया ध्यान में? ये बड़ा फर्क ध्यान में रखना। वो उनके साथ बुरा व्यवहार नहीं करता। वो उनके साथ उनके उम्र के अनुसार व्यवहार करता है। यानी क्या होता है? एक साल तक ज़िम्मेदारी किसकी है पूरी तरह से? माँ-बाप की। जैसे बच्चा बड़ा होता है, वैसे ज़िम्मेदारी माँ-बाप की रहती नहीं। मानते हो? इसीलिए हम श्रद्धावानों को हमारी श्रद्धा अधिकाधिक मधुर करते रहना चाहिए। आया ध्यान में? आप दादी-दादा हो गए, आप भी उसके बच्चे हैं, आपका बेटा भी उसका बच्चा है, आपका पोता भी उसका बच्चा है, ये ध्यान में रखना। हम अपनी उम्र के नुसार ही बर्ताव करेंगे, पर फिर भी हम उसके लिए, बच्चे ही हैं।

॥हरि: ॐ॥ श्रीराम॥ अंबज्ञ॥ नाथसंविध्‌॥

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Aniruddha Premsagar
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