सुन्दरकाण्ड महिमा (हिंदी डबिंग)
सदगुरु श्री अनिरुद्ध प्रवचन क्लिप (गुरुवार, दिनांक २८ अक्टूबर २००४ )
प्रवचन क्लिप टेक्स्ट
रामायण में, सबसे श्रेष्ठ, बात कौनसी है? रामायण में सबसे श्रेष्ठ बात है, ‘सुंदरकाण्ड’। वाल्मिकी ने इसीलिए इसका नाम ‘सुंदरकाण्ड’ रखा है। रामायण का सबसे सुंदर भाग, यानी ‘सुंदरकाण्ड’। इस सुंदरकाण्ड में कथा किसकी है?, यह हनुमानजी की कथा है। रामेश्वरम् में उसने छलांग लगाई, और वो लंका में गया। लंका में सीता से मिला। सीता का शोकहरण उसने किया। इसीलिए, हनुमान का एक श्रेष्ठ नाम माना जाता है, ‘सीताशोकविनाशिने’। अशोकवन में बैठी हुई है सीता शोक करती हुई, हमारे दिमाग में यह बात कभी भी आती नहीं कि, रामायण में सीता शोक करते हुए कहाँ बैठी है? अ-शोक वन में यानी वहाँ कोई रहस्य होना चाहिए। और ऐसे उस अशोकवन में शोक कर रही सीता को, ‘अशोका’ से, हनुमान पुन: छलांग लगाकर रामचंद्र से आकर मिलता है। यहाँ तक की कथा यानी ‘सुंदरकाण्ड’। और ये सुंदरकाण्ड इस संपूर्ण रामायण का शिखर माना जाता है। और वाल्मिकी रामायण की अपेक्षा तुलसीदास के तुलसी रामायण का सुंदरकाण्ड, भक्तों के लिए सबसे प्रिय है, क्योंकि, मन से कहता हूँ बच्चों, अनुष्टुप छंद उन्होंने भी follow किया है, मगर सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि, इस सुंदरकाण्ड में, इस मानव को, सबसे बड़ी बात, सबसे बड़ी बात तुलसीदासजी ने दी है। कौनसी? कितने लोगों को पता है? ये तुलसीरामायण लिखनेवाले तुलसीदास ने खुद पुरी की पुरी जिम्मेदारी, स्विकारके, अपनी सारी तपस्या अर्पण करके, इस विश्व के लिए एक महान बात स्पष्ट की है इस सुंदरकाण्ड में। प्रत्येक भक्त भगवान की प्रार्थना करता है ना, बच्चों?, मगर इस प्रार्थना में श्रेष्ठ प्रार्थना कौनसी होगी?, और सुंदरकाण्ड में, एक चौपाई इतनी सुंदर है, कि जिसमें सीता ने राम की प्रार्थना की है। ‘दीन दयाल बिरिदु संभारी..दीन दयाल बिरिदु संभारी हरहू नाथ मम संकट भारी।’
॥ हरि: ॐ॥ श्रीराम।। अंबज्ञ॥ नाथसंविध्॥
The discourse of Sadguru Shree Aniruddha dated 28th October 2004
Which is the most wondrous part of the Ramayana? It is the ‘Sundarkand’! Hence, Valmiki has named it so (Sundar = beautiful). The ‘Sundarkand’ is the most beautiful episode of the Ramayana. Who does the work depict? It is the story of Hanuman ji. He made an extraordinary leap from Rameshwaram to Lanka. There, he met Sita and healed her anguish. As a result, ‘Sitashokvinashini’ is one of the most illustrious names by which Hanuman is known. While in agony, where is Sita? In Ramayana, we fail to comprehend that if Sita is in the ‘Ashokvan’, there has to be some mystery associated with the site. And it is at such a place that Hanuman meets Sita, who is grieving, near an ‘Ashoka’ tree. Further, Hanuman again leaps back and returns to meet Ramchandra. This entire tale is what is the ‘Sundarkand’.
The Sundarkand is considered to be the peak of the entire Ramayana. Besides, the Sundarkand in the ‘Tulsi Ramayana’ written by Tulsidas ji appeals more to the people than ‘Valmiki Ramayan’ as Tulsidas ji has followed the ‘Anushtup Chandaha’ (a type of meter in literature). However, more than that, the most important aspect of Tulsidas ji’s Sundarkand is, it has given the most significant gift to humanity. Which is it? How many of us know about it?
Tulsidas ji, the author of Tulsi Ramayan, in his version of the Sundarkand, has accepted the full responsibility and offered his entire penance to bring before the world the great fact. Does every bhakta not pray before the Almighty? However, among them, which is the utmost superior prayer? One of the tetrameters (chaupai) in the Sundarkand is wonderful and amazing. It is a prayer by Sita addressed to Ram!
Kahehu taat asa moor pranama, saba prakar prabhu pooranakama.
Deenadayala biridu sambhari, harahu Naath mamah sankata bhari
(O father! Convey my obeisance to Him, the One, who grants complete fulfilment of wishes. Yet recalling Your vow of kindness to the afflicted – O ocean of compassion and mercy – relieve, O master, my grievous distress).